मकर संक्रांति 2012




इस वर्ष सूर्यदेव 15 जनवरी को उत्तरायण में प्रवेश करेंगे। सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश होते ही संक्रांति का पर्व मनता है। इस बार 14 जनवरी की मध्य रात्रि को सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करेगा। ऐसे में स्नान-दान आदि के रूप में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही संक्रांति का पुण्य काल भी शुरू हो जाएगा।

सांवलियाजी मंदिर मंडल के मुख्य पंडित विश्वनाथ आमेट ने बताया कि 14 जनवरी की रात 12.56 बजे से संक्रांति का पुण्यकाल शुरू होगा, जो 16 घंटे का होता है। पुण्यकाल 15 जनवरी सूर्योदय से शाम 4.55 मिनट तक रहेगा। उदय तिथि के सिद्धांत अनुसार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा। पं. आमेट ने बताया कि सूर्य का राशि परिवर्तन रात के समय होने से महंगाई और बढऩे का अंदेशा है। दूध, दही, घृतादि, मणि-रत्न, श्याम रंग के वस्त्र, सफेद रंग की वस्तुएं लहसुन, चावल, स्टील आदि के मूल्यों में वृद्धि होने की संभावना है। मकर संक्रांति प्रवेश के समय तुला लग्न अनुसार लग्न में उच्चस्थ शनि सप्तम भाव बृहस्पति से दृष्ट है। धनेश लाभ भाव में होने से वर्षा अनुकूल रहेगी। पैदावार, शिक्षा संतोषप्रद रहेगा लेकिन शासन को अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ सकता है।

पुण्यकाल में पवित्र नदी में स्नान, शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करें। सूर्य की पूजा-अर्चना करें। आदित्य हृदय स्त्रोत, सूर्य स्त्रोत, सूर्य सहस्त्र नामावली, सूर्य सुक्त आदि का पाठ करें। सूर्य बीज मंत्र ऊं घृणि सूर्याय नम: का जाप करे। सूर्य सुक्तादि से हवन कर दान पुण्य करें।

क्या है सूर्य का उत्तरायण होना

आकाश की 12 राशियों में सूर्य के भ्रमण से ऋतुचक्र पूरा होता है। एक राशि से दूसरी राशि में सूर्य के संक्रमण को ही संक्रांति कहते हैं। सूर्य की मकर से मिथुन राशि में रहने तक की छह महीने की अवधि उत्तरायण कही जाती है। ६पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यह देवों का प्रभात काल होती है। कर्क से धनु राशि में रहने के छह महीनों को दक्षिणायन कहते हैं। इसे आसुरी काल भी कहते हैं। 14 जनवरी की मध्य रात्रि को करेंगे सूर्य उत्तरायण में प्रवेश, दान पुण्य 15 को होंगे


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